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वेकोलि की जमीन पर 70 साल से रह रहे परिवार, हर बार बेदखली के नोटिस से भय
छिंदवाड़ा:- वेकोलि के पेंच और कन्हान एरिया की बंद 53 कोयला खदानों की लीज निरस्त का मामला राजनीतिक दांव-पेंच में उलझने से करीब पांच हजार परिवारों को नया घर नहीं मिल पाया है। पिछली कमलनाथ सरकार के समय लीज निरस्त करने की फाइल जरूर चली और जमीन के पट्टे बांटने की तैयारी भी शुरू हो गई थी लेकिन सरकार गिरने पर यह पहल फलीभूत नहीं हो सकी। शिवराज सरकार में यह मामला ठंडे बस्ते में है। उस पर वेकोलि के हर बार बेदखली के नोटिस ऐसे परिवारों की नींद उड़ा रहे हैं।
यह मामला पेंच क्षेत्र के महाप्रबंधक के 22 जुलाई को एसडीएम को लिखे पत्र से गरमाया था,जब वेकोलि ने अपनी जमीन पर काबिज परिवारों को हटाने की बात कहीं थी। इसके बाद क्षेत्रीय जनप्रतिनिधियों ने वेकोलि के इस इरादे पर विरोध जाहिर किया था। इस पूरे विवाद को जड़ से देखा जाए तो जैसे-जैसे कोयला खदानें बंद होती गई, वैसे-वैसे लोग खाली जमीनों पर बसते गए। उन्होंने मकान और दुकान स्थापित कर लिए। इसके साथ ही वेकोलि के खाली क्वाटर्स पर भी उनका कब्जा हो गया। इस जमीन का मालिकाना हक वेकोलि के पास होने पर उन्हें हटाने के प्रयास होते रहे। जनप्रतिनिधियों के विरोध के चलते ये सफल नहीं हो पाए। फिर कमलनाथ सरकार 2018 में आई तो बंद खदानों की लीज निरस्त के प्रस्ताव तैयार हुए। इस पर कार्रवाई आगे बढ़ती, इससे पहले ही सरकार के पतन से मामला पैंडिंग हो गया।
ये समस्या केवल कोयलांचल के पेंच के परासिया, चांदामेटा, बड़कुही और इकलेहरा की नहीं बल्कि कन्हान के जुन्नारदेव, दमुआ समेत अन्य नगरों और कस्बों की है। स्थानीय रहवासियों को प्रधानमंत्री आवास का लाभ नहीं मिल पा रहा है। वेकोलि का नोटिस हर दिन डर का खौफ के लिए काफी है।
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इन बंद खदानों की लीज निरस्त का था प्रस्ताव
पेंच की ये खदानें बंद
शासकीय वन ब्लॉक नम्बर 10-उमरेठ रेंज, इकलेहरा, बडक़ुही, बडक़ुही-रिछेरा-पिपराज-इकलेहरा, दीघावानी, हर्रई, चरईकलां, लोनी दरबई, इकलेहरा-बरकुही-बम्होरी-चांदामेटा बुटरिया, बरकुही-इकलेहरा-भाजीपानी-बम्होरी, बम्होरी-चांदामेटा, भाजीपानी, भाजीपानी, मायावाड़ी-चिखलीकलां-चांदामेटा, डोंगर चिखली-डोंगर परासिया, डोंगर चिखली-डोंगरी परासिया, शासकीय वन ब्लॉक नम्बर 64 अमरवाड़ा रेंज रावनवाड़ा, चईकलां-बेलगांव-लीखावाड़ी-खैरीकलां, बेलगांव, चांदामेटा-लीखावारी-चिखलीकलां-मायावाड़ी, बरारिया, सिरगोरीखुर्द, दीघावानी, दीघावानी, रावनवाड़ा, ढाला हर्रई, बुटरिया, दीघावानी।
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कन्हान की ये खदानें बंद
राखीकोल, कालीछापर-दमुआ, घोरावारीकलां-नंदौरा, घोरावारीकलां-घोरावारी खुर्द, पुरैनाकोठीदेव, कोल्हिया, सगौनिया, पनारा, कोल्हिया-बड़ी दातला-डुंगरिया, बड़ी दातला-डुंगरिया, जामई-बड़ी दातला-शासकीय वन, सुकरी, जुन्नारदेव-नजरपुर, पालाचौरई, पालाचौरई-नजरपुर, अम्बाड़ा, शासकीय वन ब्लॉक नम्बर 10,घोरावाड़ी-रैय्यतवाड़ी शासकीय वन, अम्बाड़ा-इकलहरा, इकलेहरा-अम्बाड़ा, बड़ी दातला, कोल्हिया, जुन्नारदेव विशाला-शासकीय वन, जुन्नारदेव सुकरी-उमरिया फदाली, नजरपुर।
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लीज निरस्त न होने से पांच हजार परिवार संकट में: बाल्मीक
परासिया विधायक सोहन बाल्मीक ने कहा कि पिछली कांग्रेस सरकार के समय बंद कोयला खदानों से जमीन वापस लेने का प्रस्ताव तत्कालीन मुख्यमंत्री कमलनाथ के समय तैयार हुआ था और इस पर सरकार ने कार्रवाई भी शुरू कर दी थी। उनके प्रयास से कोयलांचल के 5 हजार परिवारों को वेकोलि की लीज निरस्त कर पट्टा देने की सूची भी तैयार की गई थी। सरकार गिरने के बाद ये प्रक्रिया रुक गई। उन्होंने आरोप लगाया कि शिवराज सरकार रहवासियों के हितों की अनदेखी कर रही है। दो बार विधानसभा में मामला उठा चुके हैं।
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कोर्ट से लेकर रोड तक करेंगे संघर्ष: उइके
जुन्नारदेव विधायक सुनील उइके ने कहा कि पिछली बार हाईकोर्ट के निर्देश पर दमुआ के रहवासियों को हटाने के आदेश हुए थे तो हमने सुप्रीम कोर्ट तक लड़ाई लड़ी थी। अभी कन्हान क्षेत्र के इलाकों में पुन: नोटिस दिए जा रहे हैं। इस पर पुन: कोर्ट से लेकर रोड तक संघर्ष करेंगे। पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ के नेतृत्व में कांग्रेस स्थानीय जनता के साथ है। किसी भी रहवासी को बेदखल नहीं होने दिया जाएगा। हमारे लिए जनहित सर्वोपरि है।
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कोयलांचल में किसी का भी नहीं टूटने देंगे मकान: साहू
जिला भाजपा अध्यक्ष विवेक बंटी साहू का कहना है कि कोयलांचल में पिछली बार जब वेकोलि की जमीन पर काबिज लोगों को नोटिस और मकान तोडऩे की बात सामने आई थी, तब भी पार्टी नेताओं ने मुख्यमंत्री से बातचीत कर इस कार्रवाई को रुकवाया था। वे फिर आश्वस्त करते हैं कि ऐसी स्थिति दोबारा आई तो भी किसी का घर नहीं टूटने देंगे। जहां तक बंद खदानों की लीज निरस्त का प्रस्ताव है तो उस पर पुन: सीएम का ध्यान आकर्षित कराएंगे। इस मामले में भाजपा पीडि़त परिवारों के साथ है।