CCN/कॉर्नसिटी
हैरानी की बात यह है जिले में 16 शासकीय कॉलेज हैं।
छिंदवाड़ा:- शासन द्वारा उच्च शिक्षा में सुधार के लिए भले ही विभिन्न प्रयास किए जा रहे हों, लेकिन छात्रों की शैक्षणिक गुणवत्ता में सुधार के लिए यह काफी नहीं है। हैरानी की बात यह है जिले में 16 शासकीय कॉलेज हैं। इनमें से मात्र दो कॉलेजों में ही नियमित प्राचार्य तैनात हैं। बाकी के शेष 14 कॉलेज प्रभारी प्राचार्यों के भरोसे ही चल रहे हैं। ऐसे में अंदाजा लगाया जा सकता है कि इन कॉलेजों में शैक्षणिक गतिविधियां सहित अन्य कार्य किस तरह से चल रहे होंगे। जल्द ही कॉलेजों में शैक्षणिक कार्य भी आरंभ हो जाएगा, लेकिन अभी तक पढ़ाई का माहौल नहीं नजर आ रहा है। छिंदवाड़ा जिले में लीड कॉलेज की जिम्मेदारी भी प्रभारी प्राचार्य के कंधों पर है। जिले में शासकीय कॉलेज परासिया एवं शासकीय कॉलेज अमरवाड़ा में ही नियमित प्राचार्य पदस्थ हैं। उच्च शिक्षा विभाग के अधिकारियों की मानें तो विभाग में सीनियर प्राध्यापकों के सेवानिवृत्ति के बाद अथवा पद खाली होने की स्थिति में उन पदों को प्रमोशन के जरिए नहीं भरा जा रहा है। पिछले करीब एक दशक से कॉलेजों में वरिष्ठता के आधार पर शिक्षकों को प्रमोट नहीं किया गया है। यही कारण है कि शासकीय कॉलेजों में प्राचार्य के पद खाली पड़े हुए हैं।
स्टाफ की होगी कमी
कॉलेजों में हर साल छात्रों की संख्या बढ़ रही है, लेकिन स्टॉफ एवं संसाधन सीमित हैं। इस बार 12वीं में सभी विद्यार्थियों के उत्तीर्ण हो जाने से कॉलेजों में विद्यार्थियों की संख्या काफी बढ़ जाएगी। ऐसे में स्टॉफ की और कमी होगी। इसके लिए कॉलेजों को पहले से ही तैयारी करनी होगी, जिससे विद्यार्थियों का अध्यापन प्रभावित न हो। सामान्य प्रशासन विभाग के नियमानुसार प्रत्येक विभाग में हर छह माह में डीपीसी होनी चाहिए, लेकिन उच्च शिक्षा विभाग में इस तरफ काफी समय से ध्यान नहीं दिया गया है। वहीं प्रोफेसर्स का कहना है कि स्थायी प्राचार्य के बिना कॉलेजों का विकास संभव नहीं है। यदि शासन बेहतर रिजल्ट चाहता है तो खाली पदों को भरना जरूरी है।
स्थायी प्राचार्य न होने से नुकसान
स्थायी प्राचार्य नहीं होना नैक ग्रेडिंग के वक्त माइनस प्वाइंट के तौर पर गिना जाता है। इसके अलावा समान कैडर के होने की वजह से अन्य प्रोफेसर प्रभारी प्राचार्य की बातों को अनसुना कर देते हैं। इसके अलावा प्रभारी प्राचार्य को सीआर लिखने का अधिकार नहीं होता और न ही कोई निर्णय लेने का अधिकार होता है।
ये कॉलेज प्रभारी प्राचार्य के भरोसे
– शासकीय स्वशासी पीजी कॉलेज
– राजमाता सिंधिया गल्र्स कॉलेज
– शासकीय कॉलेज, जुन्नारदेव
– शासकीय कॉलेज, सौंसर
– शासकीय कॉलेज, लोधीखेड़ा
– शासकीय कॉलेज, पांढुर्ना
– शासकीय कॉलेज, बिछुआ
– शासकीय कॉलेज, दमुआ
– शासकीय कॉलेज, हर्रई
– शासकीय लॉ कॉलेज, छिंदवाड़ा
– शासकीय कॉलेज, चांद
– शासकीय कॉलेज, उमरानाला
– शासकीय कॉलेज, चौरई
– शासकीय कॉलेज, तामिया