डिंडोरी /जिला आदिवासी बहुल्य जिला माना जाता है जहां अधिकतर किसान रहते हैं जो बैलो के द्वारा खेत मे हल चलाकर खेती कर जीवन यापन करते हैं.. कोरोना महामारी के चलते मध्यप्रदेश शासन द्वारा शासकीय कर्मचारियों की संख्या कार्यालयों में 10% कर क्या दिए उस दिन से कर्मचारी लगातार बेलगाम हो गए ना शासन का डर ना प्रशासन का डर मनमर्जी चला रहा है कोई देखने वाला ही नहीं जब मन करे तब आधे घंटे 1 घंटे के लिए कार्यालय खोल लिया जाता है जब मन करें तब ताला लगा दिया जाता है ऐसा ही कुछ मामला प्रकाश में आया है डिंडोरी जिला मुख्यालय से लगे विक्रमपुर पशु चिकित्सालय विभाग का है जहां आए दिन कर्मचारियों और अधिकारियों द्वारा लगातार लापरवाही बरती जाती है ना तो कार्यालय समय पर खुलता है ना ही समय पर डॉक्टर उपस्थित रहते हैं सूत्र कहते हैं यहां की बड़ी डॉक्टर मैडम को तो हमने आज तक नहीं देखा है कब आती है और कब चली जाती है हम गांव वालों को तक नहीं पता चलता ना ही हमने मैडम को आज तक किसी जानवर का इलाज करते देखा पशु चिकित्सालय का जहां पर पशु पालकों को आए दिन पशु चिकित्सालय के कर्मचारियों के लापरवाही और अनदेखी के चलते अनेक प्रकार की परेशानियों का सामना करना पड़ता है वही पशुपालकों के मुताबिक विक्रमपुर की आस पास क्षेत्र की जनता का कहना है कि अब तक दर्जनों पशुओं की मौत हो चुकी है वह भी सिर्फ पशु विभाग की लापरवाही के चलते वही पशु पालकों का कहना है कि इस पशु चिकित्सालय में आए दिन ताला ही लगा रहता है अगर खुलता भी है तो कुछ घंटों के लिए लेकिन यहां पर बड़ी डॉक्टर मैडम हमेशा ही कार्यालय से नदारद रहती है और पशु चिकित्सालय खोलने का कोई समय सीमा नहीं है जबकि इस चिकित्सालय में डॉक्टर के साथ साथ सभी स्तर के कर्मचारी है पर सब कर्मचारी मनमर्जी वाले हैं अगर कोई पशुपालक जिसका पशु बीमार है और वह डॉक्टर से इलाज करवाने के लिए पशु चिकित्सालय विभाग पहुंचे तो यहां से तो डॉक्टर ही नदारद रहते हैं सूत्रों की माने तो यहां पशु चिकित्सालय सिर्फ नाम के लिए ही खुलता है वह भी चिकित्सालय का फोर्थ श्रेणी के कर्मचारी खुलता है सिर्फ आधे 1 घंटे के लिए अगर इस बीच कोई पशुपालक अपने पशुओं लेकर चिकित्सालय आ गया तो फोर्थ श्रेणी का कर्मचारी डॉक्टर नहीं है कह कर भगा देता है और फिर दिन भर ताला लगा रहता है और कभी-कभी इन लापरवाही के चलते पशुपालकों के पशु की मौत हो जाती है जिससे बेचारा किसान अपनी खेती भी नहीं कर पाता और आने वाले समय पर दाने दाने को तरस जाता है चिकित्सालय के कर्मचारी लगातार लापरवाही रवैया पर उतारू है और तो और मजे की बात यह है कि अगर इनकी शिकायत इन के उच्च अधिकारी से की जाती है तो इन के उच्च अधिकारी भी स्टाफ को बचाने और मामले को दबाने में जुट जाते हैं आखिर इन लापरवाह अधिकारियों पर कब कड़ी कार्यवाही की जाएगी और कब तक उच्च अधिकारियों द्वारा मामले पर पर्दा डालते रहेंगे यहां तो अपने आप में एक अहम सवाल है
डिंडोरी से चंद्रिका यादव का रिपोर्ट✒️✒️