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महिला बाल विकास विभाग का दावा-शून्य से पांच साल की उम्र में आया सुधार…

छिंदवाड़ा:- कोरोना संक्रमण के चलते आंगनबाड़ी केन्द्रों में पिछले डेढ़ साल से बच्चों को पका भोजन बंद है। फिर भी उनके कुपोषण की दर में सुधार आया है। ऐसे बच्चों की संख्या जिले में कम हो गई है। यह आश्चर्यजनक दावा महिला बाल विकास विभाग के अधिकारियों ने किया और इसकी वजह शासन की पोषण योजनाओं को बताया है।
महिला बाल विकास विभाग की जानकारी के अनुसार जिले भर में शून्य से लेकर पांच वर्ष के बच्चों की संख्या सितम्बर 2020 में 174976 थी। इनमें से कुपोषित बच्चे 9946 और अतिकुपोषित बच्चे 1355 थे। इसकी तुलना में अगस्त 2021 के आंकड़े उत्साहवर्धक रहे। इस महीने इस श्रेणी के बच्चों की संख्या 167343 रही। इनमें कुपोषित 6849 और अतिकुपोषित 958 पाए गए। इन दोनों वर्ग में कुपोषित बच्चों की संख्या 3494 कम हुई है। यहां बता दें कि कोरोना संक्रमण के चलते आंगनबाड़ी केन्द्रों में मार्च 2020 में लगाए गए पहले लॉक डाउन से बच्चों का आना बंद हुआ है और उन्हें पका भोजन भी नहीं दिया जा रहा है। इसके बावजूद भी सुधार होना उत्साहवर्धक है।

घर-घर में बंटा सत्तू, अब आया सूखा खिचड़ा
पिछले साल 2020 के मार्च से कोरोना काल के चलते आंगनबाड़ी केन्द्र खुले हैं लेकिन वहां बच्चों को लाने पर प्रतिबंध लगा हुआ है। तब से बच्चों को घर-घर सत्तू पहुंचाया जा रहा है। अब इस माह से कुछ आंगनबाड़ी केन्द्रों में सूखा खिचड़ा आया है। इसमें गेहूं समेत अन्य पोषक तत्वों को मिलाया गया है। पहले पौष्टिक और गरम खाना आंगनबाड़ी केन्द्रों में स्व-सहायता समूहों के माध्यम से वितरित किया जाता था,अब उसे बंद कर दिया गया है।

छिंदवाड़ा, जामई और परासिया में कुपोषित ज्यादा
महिला बाल विकास विभाग के अनुसार कुपोषित और अतिकुपोषितों की संख्या में जामई, परासिया और छिंदवाड़ा विकासखंडों के ज्यादा बच्चे आते हैं। इसके अलावा तामिया, हर्रई और मोहखेड़ से बच्चे कुपोषण के शिकार होकर मिलते हैं। पिछले साल जामई में सबसे ज्यादा 2122 और परासिया में 1708 बच्चे कुपोषित व अतिकुपोषित तथा छिंदवाड़ा में 1720 बच्चे कुपोषित मिले थे। इनकी संख्या में काफी गिरावट आई है।

जिला अस्पताल..कोरोना लहर के बाद आ रहे बच्चे
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जिला अस्पताल में कुपोषित बच्चों के इलाज के लिए बनाए गए पोषण पुनर्वास केन्द्र में पिछले वित्तीय वर्ष 2020-21 में 204 कुपोषित बच्चों को लाकर उनका इलाज किया गया था। इस साल अप्रैल से लेकर सितम्बर तक 106 बच्चे आ चुके हैं। पुनर्वास केन्द्र में 40 बिस्तर उपलब्ध है। बताते हैं कि कोरोना की दूसरी लहर अप्रैल-मई में अस्पताल आनेवाले बच्चे न के बराबर रह गए थे। अब डॉक्टर चाइल्ड वार्ड में इलाज के दौरान आनेवाले ऐसे बच्चों को रैफर कर देते हैं या फिर आंगनबाड़ी केन्द्रों से बच्चे आते हैं।

By Corn City

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