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जिला अस्पताल की आयुर्वेद विशेषज्ञ डॉ.प्रियंका धुर्वे ने कहा-पपीते से प्लेटरेटस की रिकवरी में मदद

छिंदवाड़ा.इन दिनों जिले में डेंगू का प्रकोप बढ़ गया है। हर दिन जिला चिकित्सालय में डेंगू के मरीज आ रहे हैं। इस बीमारी का इलाज आयुर्वेद की दवाइयों और घरेलू नुस्खों और सावधानी से संभव है। यह कहना है जिला अस्पताल की आयुष विंग प्रभारी डॉ. प्रियंका धुर्वे का।
आयुर्वेद विशेषज्ञ ने पत्रिका से बातचीत में कहा कि डेंगू को आयुर्वेद में दंडक ज्वर या सामान्य बोलचाल में इसे हड्डी तोड़ बुखार कहा जाता है। ये डेंगू वायरस से होता है जो चार टाइप के होते है (डेन 1,2,3,4) इसका वाहक एडीज एजिप्ट मच्छर है। इसमें तेज बुखार 101 से 105 डिग्री फेरहानहाइट तक बुखार आता है। मांस पेशियों, जोड़ों में बहुत तेज दर्द, सिर दर्द, आंखों के पीछे दर्द, शरीर पर चकते , उल्टी जैसे लक्षण मिलते है। ब्लड में सफेद रक्त कणिकाओं की कमी, प्लेटलेट्स की कमी हो जाती है आयुर्वेद में इसे वात प्रधान सन्निपात ज्वर कहा गया है।
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आयुर्वेद में ये इलाज का तरीका
1.सबसे पहले तेज बुखार होने के कारण पानी की कमी हो जाती है इसलिए लिक्विड जूस जैसे नारियल पानी, अनार, मौसंबी का रस, इलेक्ट्रोल पावडर, धनिया और सोंठ में पकाए जल का निरंतर सेवन करें।
2.प्लेटलेट्स की कमी को दूर करने के लिए पपीते की पत्ती का रस जरूर दें। इस पत्ती में बेहद सारे एलकेलोइड्स जैसे एनथैकिव्नोनस, सेपोनिन,कारपेंस, कार्डियक गलाइकोसाइड्सू जैसे कारपोसाइडस,टेनिन्स होने से जल्द रिकवरी होती है। ं, इसलिए रोज बीस एमएल पपीते की पत्ती का रस सुबह शाम लेना चाहिए।
3.गिलोय, आंवला रस का सेवन से रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है।
4.कब्ज होने पर कुटकी चूर्ण का सेवन चार से छ ग्राम गुनगुने पानी से करें।
5.तीव्र ज्वर में ठंडे पानी की पट्टियों से शरीर को पोंछे।
6. ज्वर के लिए कृष्ण चतुर्मुख रस, मृत्युंजय रस, त्रिभुवन कीर्ति रस, सर्वज्वरहरलोह, सिद्धमकरध्वज रस,गुदुच्यादी क्वाथ जैसी औषधियों का सेवन लाभकारी।
7.दलिया,खिचड़ी थोड़ा सोंठ और पीपली का छौंक लगाकर ले।
8.मच्छरों से बचाव के लिए नीम की पत्ती का धुआं और नीम के तेल लगाएं।

By Corn City

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