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“पढ़ोगे लिखोगे बनोगे नवाब, खेलोगे कूदोगे तो बनोगे सुपरस्टार”: प्रो.सायमा सरदेशमुख

“खिलाड़ियों को खेलों में प्रोत्साहन के लिए राष्ट्रीय स्तर एवं राज्य स्तर पर अनेक स्कॉलरशिप योजनाएं संचालित है”: श्री संघर्ष सोनी

“राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में शारीरिक शिक्षा को एक अतिरिक्त विषय के रूप में कॉलेज पाठ्यक्रम में शामिल”: प्रो.सायमा सरदेशमुख

छिंदवाडा/तामिया:-  तामिया कॉलेज में मेजर ध्यानचंद क़े जन्मदिवस में खेलों में रोजगार पर राष्ट्रीय वेबिनार का आयोजन हुआ| प्रथम वक्ता के रूप में बोलते हुए बरघाट कॉलेज की क्रीड़ा अधिकारी एवम छिंदवाड़ा आकाशवाणी में अनाउंसर प्रो. सायमा सरदेशमुख ने कहा कि शारीरिक शिक्षा का क्षेत्र बहुत व्यापक है जिसमें विद्यार्थी खेल जीव यांत्रिकी, खेल समाजशास्त्र, खेल मनोविज्ञान, खेल चिकित्सा, खेल दर्शनशास्त्र, खेल सांख्यिकी इत्यादि विषयों का अध्ययन करता है |एक ऐसा क्षेत्र जिसमें आय के साथ समाज में रुतबा एवं पेज-3 पर छपने के लिए आप सक्षम हो जाते हैं| खेलों में शिक्षा, स्वास्थ्य, खेल प्रशासन, प्रशिक्षण प्रदर्शन संबंधित, संचार माध्यमों के क्षेत्र में अपार रोजगार निहित है| इसमें शिक्षक के रूप में (स्कूल पी.टी.आई. एवं महाविद्यालय स्तर पर क्रीड़ा अधिकारी) ,प्रशिक्षक के रूप में (कोच),स्वास्थ्य संबंधित कैरियर के रूप में (शारीरिक चिकित्सक,खेलकूद आहार विशेषज्ञ, खेलकूद मनोवैज्ञानिक,एथलेटिक प्रशिक्षक), प्रदर्शन से संबंधित करियर में खिलाड़ी के रूप में सरकारी/गैर सरकारी कंपनियों में, अधिकारी के रूप में (रेफरी,एंपायर,टाइम कीपर, स्कोरर)संचार माध्यमों में कैरियर के रूप में (खेल पत्रकारिता, फोटोग्राफी, पुस्तक लेखन, प्रकाशन, खेल प्रसारण) इत्यादि क्षेत्र में रोजगार निहित है|खिलाड़ियों को खेलों में प्रोत्साहन के लिए राष्ट्रीय स्तर एवं राज्य स्तर पर अनेक स्कॉलरशिप योजनाएं संचालित है| खेलो इंडिया छात्रवृत्ति में हर साल 1000 खिलाड़ी एवम एथलीट को एक साल में पाँच लाख तक की छात्रवृत्ति आठ साल तक दी जाती है, इसके अलावा स्पोर्ट्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया (SAI) रिलायंस फाऊंडेशन यूथ स्पोर्ट्स मुंबई, दिल्ली यूनिवर्सिटी दिल्ली, इंडियन ऑयल स्पोर्ट्स स्कॉलरशिप नई दिल्ली के द्वारा भी खिलाड़ियों को प्रोत्साहन राशि प्रदान की जाती है|द्वितीय वक्ता के रूप में छिंदवाड़ा जिले के चेस प्रशिक्षक श्री संघर्ष सोनी ने कहा कि बदलते दौर के साथ स्कूलों में इस क्षेत्र को एक कौशल के रूप में बढ़ावा दिया जा रहा है। अब खेलकूद रोजगार का एक अच्छा जरिया बनकर उभर रहा है। जो प्रतिभाएं जनपद, मंडलीय एवं प्रदेश स्तरीय प्रतियोगिताओं से निकलकर राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में अपने प्रदेश और देश का प्रतिनिधित्व करतें हैं, वे अपने जनपद का ही नही बल्कि राष्ट्र का गौरव भी बढ़ाते हैं। वेबीनार आयोजक प्रो.विजय सिंह सिरसाम ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में शारीरिक शिक्षा को एक अतिरिक्त विषय के रूप में कॉलेज पाठ्यक्रम में शामिल किया गया जो कि एक सराहनीय कार्य है जिससे सभी विद्यार्थियों का सर्वांगीण विकास में सहायता मिलेगी | प्राचार्य डॉ. महेंद्र गिरि ने कहा कि यदि आप अंतर्राष्ट्रीय या राष्ट्रीय स्तर के खिलाड़ी न बन पाएँ, तब भी खेल जगत में आपके लिए संभावनाओं की कोई कमी नहीं है। इसलिए यदि खेल के प्रति समर्पण भाव है, देश के लिए खेलने की इच्छा है तो खेलों से पलायन करने की बजाय अपना योगदान खेलों मे ही दें| प्रो. मालती बनारसे ने कहा कि जीवन में खेलों एवं शारीरिक शिक्षा की महत्ता को दृष्टिगत रखते हुए युवाओं की प्रतिभा एवं ऊर्जा का सकारात्मक उपयोग तथा नागरिकों में खेल, युवा तथा साहसिक गतिविधियों के प्रति उत्साह एवं इसके माध्यम से राष्ट्रीयता, मैत्री, सामाजिक समरसता तथा सौहार्दपूर्ण प्रतिस्पर्धा की भावना को जागृत करना है।

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