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छिंदवाड़ा:-  षष्ठी माता मंदिर(परासिया रोड, गुलाबरा) वर्षों से भक्तों के आस्था का केन्द्र रहा है। मान्यता है कि माता के दर पर जो आता है वह खाली हाथ नहीं जाता। देवी को चौरई के कपूर्दा स्थित षष्ठी माता का ही रूप माना गया है। षष्ठी माता के दर पर हाजिरी लगाने पूरे जिले के लोग अपनी मनोकामना लेकर पहुंचते हैं। नवरात्र में मंदिर में भक्तों की भीड़ उमड़ती है। षष्ठी माता मंदिर से जुड़े भक्तों ने बताया कि मंदिर लगभग 150 वर्ष पुराना है। पहले यहां कच्ची मढिय़ा थी। लोगों की आस्था जुड़ी होने के कारण और भक्तों की पूरी होती मनोकामना एवं बढ़ते विश्वास के चलते जन सहयोग से इस मंदिर के जीर्णोद्धार का कार्य शुरु किया गया। वर्ष 1990-91 में मंदिर को नया स्वरूप दिया गया। 21 फरवरी 1991 में इस विशाल मंदिर में मातारानी की नई प्रतिमा की प्राण-प्रतिष्ठा की गई। माता का आकर्षक स्वरूप हर भक्त को अपने ओर खिंचता है। मंदिर भव्य विशाल परिसर में बनाया गया है। यहां दूर-दराज से आने वाले भक्तों के लिए टीन-शेड, बैठने एवं पेयजल की व्यवस्था है। इसके अलावा नवरात्र पर्व के दौरान रखे जाने वाले मनोकामना कलशों के लिए यहां एक विशाल हॉल भी बनाया गया है। वर्षों से माता की सेवा में जुटे पं. गंगा प्रसाद द्विवेदी ने बताया कि नवरात्र में मनोकामना कलश रखने का सिलसिला सात कलश से शुरु हुआ था जो साल दर साल बढ़ते चला गया। इस वर्ष 851 मनोकामना कलश की स्थापना की गई है। उन्होंने बताया कि भक्त संतान प्राप्ति, नौकरी, शादी विवाह, व्यवसाय आदि की मनोकामना के लिए मातारानी के दर पर आते हैं।

मैली दूर करती हैं माता
मंदिर परिसर में ही मैली माता का मंदिर है। कहा जाता है कि षष्ठी माता के दर्शन कर मैली माता की पूजा करने पर भक्तों की मैली, बुरी बलाएं दूर हो जाती हैं। खासकर बच्चों को बुरी नजर या बला से बचाए रखने के लिए यहां बच्चों को नहलाकर मैली माता का दर्शन कराया जाता है। प्रत्येक मंगलवार और शनिवार को दूर-दूर से भक्त यहां आते हैं।

 

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