छिंदवाड़ा व्यापार संकट में परंपरागत व्यवसाय CCN Sep 8, 2021 CCN/कॉर्नसिटी मोहखेड़:- बढ़ई मतलब लकड़ी से विभिन्ना प्रकार की वस्तुएं बनाने वाला कारीगर, पुरातन काल से समाज में बढ़ई को एक विशेष महत्व दिया गया है, लेकिन वर्तमान समय में इस बिरादरी के सामने रोजी, रोटी का संकट खड़ा हो गया है, आधुनिक काल में लोग लकड़ी के बजाय फाइबर के फर्नीचर इस्तेमाल कर रहे हैं। मोहखेड़ निवासी सोहन विश्वकर्मा ने बताया कि पहले के दौर में खेती किसानी के लिए हल, बैलगाड़ी बनाना हो अथवा शादी में पूजन का खंभा बनाना हो, नए मकान के दरवाजे, खिड़कियां, मकान की छत बनानी हो हर कार्य में कदम-कदम पर बढ़ई की जरूरत पड़ती थी, किंतु बदलते समय के अनुसार लोगों ने आधुनिक जीवन शैली अपनानी शुरू कर दी। इसके चलते बढ़ई का महत्व भी आधुनिक जीवनशैली में कम होता गया। अब लोग लकड़ी से अधिक लोहा व फाइबर की वस्तुओं का उपयोग करते हैं। प्राचीन व्यवस्था के अनुसार बढ़ई को जीवन निर्वाह के लिए वार्षिक आय दी जाती थी। इन्हें मजदूरी के रूप में फसल कटने पर अनाज दिया जाता है। आवश्यकता पड़ने पर भी इनके अतिरिक्त कोई और व्यक्ति काम नहीं कर सकता था। समय के साथ अन्य लोग भी इस कार्य में आने लगे जिनसे लोग नगद राशि देकर कार्य करवाने लगे।आज के आधुनिक युग में लोगों ने लकड़ी की जगह लोहा तथा फाइबर को महत्व देना शुरू कर दिया है। खेती किसानी के लिए बैल की जगह ट्रैक्टर का इस्तेमाल बढ़ने से हल, बखर चलाना, बीज बोआई करना, फसल काटने से लेकर उसे निकालकर घर तक लाने में ट्रैक्टर तथा अन्य आधुनिक यंत्रों का इस्तेमाल बढ़ने से बढ़ई द्वारा बनाए गए लकड़ी के यंत्रों इस्तेमाल कम हो गया है। साथ ही घर के दरवाजे, खिड़की तथा अन्य फर्नीचर में लोहा तथा फाइबर का अधिक उपयोग होने लगा है। जिससे बढ़ई कम होने के साथ ही उनकी आय भी कम हो गई है. इसलिए कई लोगों ने यह व्यवसाय छोड़ कर अन्य व्यवसाय अपना लिया है।