किसानों के बीच यूरिया की किल्लत बना मुद्दा
news desk’ छिंदवाड़ा: मक्का फसल को ग्रोथ देने यूरिया की मांग लगातार बनी हुई है। किसान यूरिया के लिए सोसाइटी और निजी दुकानों में कतार लगाए खड़े हैं तो उनमें गुस्सा भी पनप रहा है। लगातार रेलवे रैक आने के बाद भी किसानों का आक्रोश शांत नहीं हो पा रहा है।
इस पर पक्ष और विपक्ष के नेताओं में राजनीति अलग चल रही है। कोई भी इस समस्या का समाधान निकालने सक्रिय नजर नहीं आ रहा है। कृषि विभाग के आंकड़ों के अनुसार इस सीजन में किसानों को 80 हजार मीट्रिक टन यूरिया की जरूरत थी। जबकि जिले को एक लाख 93 मीट्रिक टन यूरिया उपलब्ध करा दी गई है। लगातार यूरिया की – तों की जाल दाम मांग बनी होने से कृषि अधिकारियों के साथ राज्य शासन के अधिकारी भी चितिंत हैं। छिंदवाड़ा-पांढुर्ना जिले में मक्का का रकबा करीब 10 हजार हेक्टेयर भी बढ़ा है, तो यूरिया की मांग एक लाख मीट्रिक टन होना चाहिए लेकिन इससे अधिक यूरिया की मांग की जा रही है।
इधर, किसानों की सुनें तो उन्हें गांवों की सोसाइटी में यूरिया नहीं मिल पा रहा है। अमरवाड़ा, सिंगोड़ी, चौरई और झिलमिली में रोज चक्काजाम हो रहे हैं। किसानों की कतार सहकारी समितियों में लगी है। उ में लगी है। अधिकारी रोज आश्वासन दे रहे हैं लेकिन किसानों की मांग कम नहीं हो रही है। कलेक्टर और शीलेन्द्र सिंह भी अमरवाड़ा बिछुआ का दो बार दौरा कर आए। उन्होंने कहा कि खाद की कोई कमी नहीं है। फिर भी सहकारी समितियां खेतों की जा किरणन्नों की की शाद वितरण में गड़बड़ी कर रही है। निजी दुकानों में कृषि अधिकारियों की ड्यूटी की बात की जा रही है। फिर भी बिचौलिये कहीं न कहीं सक्रिय हैं। इतनी जांच एजेंसियों होने पर भी कहीं न कहीं गड़बड़ी की जा रही है। इधर, किसान नेता इस पर अलग कोहराम मचाए हुए हैं।
हर दिन विज्ञप्ति जारी हो रही है। कृषि अधिकारियों का तर्क है कि इस समय किसानों ने मक्का पर खाद की मात्रा बढ़ा दी है।
एक हेक्टेयर पर दो बोरी वैज्ञानिक अनुशंसा अनुशंसा पर पर डालना चाहिए। वे 3-5 बोरी डाल रहे हैं। दरअसल उनके मजदूरों ने बोरी के हिसाब से मजदूरी तय कर ली है। इसके कारण ये रायता फैला हुआ है। इसे समेटने में कृषि अधिकारियों और प्रशासन को पसीना आ रहा है।