परिवहन विभाग की लापरवाही न पड़ जाए भारी
news desk, chhindwara: रोजाना शहर से बिछुआ, खमारपानी और मोहखेड़ रूट पर दौड़ रही अनफिट व खैटारा बसों में यात्रियों की जिंदगी दांव पर पर लगी लगीं हुई हुई है। सड़कों पर ऐसी बसें दौड़ रही है है जिनकी स्थिति बेहद खराब है, सुरक्षा मानकों को पूरा नहीं करती। लंबे समय से यात्री बसों की जांच नहीं की जा रही है।
कई बसों के हाल ऐसे है कि बस के आगे बढ़ते ही पीछे धुएं का गुबार उड़ने लगता है। किसी की बॉडी पूरी तरह जर्जर हो गई है तो किसी की खिड़कियों के कांच टूट गए है। उसमें पर्दे लगाकर काम चलाया जा रहा है। बस की छत से बारिश का पानी टपकता है तो वहीं सीट फटी हुई है। नीचे देखों तो कहीं कहीं जमीन नजर आती है। लाइट टूटी या बंद होती है। आपातकालीन द्वार भी रस्सी से लटके हुए है। सुरक्षा संबंधी इंतजामों का पता नहीं रहता। न जाने कैसे इन कंडम बसों को फिटनेस मिल जाता है।
खास बात कि यात्री बसों में इमरजेंसी गेट अनिवार्य था। ताकि दुर्घटना के समय यात्री इस इमरजेंसी गेट से सुरक्षित बाहर निकल सके। लेकिन जिम्मेदारों के के ध्यान नहीं देने की वजह से दोबारा द्रोब गेट में सीट लग गई। इमरजेंसी गेट बना है, तो वहां लगेज और भारी सामान रखा होता है।
आपातकालीन द्वार पर लगाई सीट
विशेष तौर पर छिंदवाड़ा-नागपुर रूट की अधिकतर बसों में आपातकालीन द्वार लिखा होता है, लेकिन अंदर न तो गेट होता है और न ही सीट हटाई गई। ऑपरेटर ज्यादा सवारी बैठाने और किराया वसूलने के लिए यात्रियों की सुरक्षा से समझौता करने से नहीं चूक रहे हैं। आगामी त्योहार सीजन में यही खटारा और जर्जर बसें ओवरलोड सवारी भरकर दौड़ेंगी। लेकिन राहगीरों की सुरक्षा और सुविधा की जिम्मेदारी आखिरकार कौन उठाएगा।
अनुराग शुक्ला, एआरटीओ, छिंदवाड़ा : समय-समय पर यात्री बसों एवं अन्य वाहनों की जांच की जाती है। अगर ऐसी बसों को संचालन हो रहा है तो ऐसे वाहनों की जांच कर कार्रवाई की जाएगी।