मन्नत पूरी होने पर चढ़ाते है चढावा ,

CCN/डिंडोरी गाड़ा सरई

डिंडोरी/गाड़ासरई की पुरानी बस्ती की खेरमाई मढ़िया लोगो की आस्था का केन्द्र बनी हुई है ,यहाँ हर कुवार की नवरात्रि पर्व व चैत की नवरात्रि में भारी संख्या में लोग दर्शन करने दूर दूर से पहुँचते है , इस सौ साल पुरानी मढ़िया में बहुत से लोग ने मन्नत मांगी और उनकी मन्नत भी पूरी हुई , गाड़ासरई के 86 वर्षीय ईश्वरी साहू ने बताते है कि 1930 में बनी इस मढ़िया में लोगो की सभी मन्नत पूरी होती है , उन्होंने ने बताया उनके बचपन मे उनकी माँ बेटी बाई साहू जब सुबह उठी तो उनकी आंख नही खुल रही थी तब जाकर उनके पति नेतराम साहू अपने परिवार के साथ जाकर मढिया में बदना किया कि उनकी पत्नी बेटी बाई की आँख खुल जाएगी तो उस मढ़िया में माता जी को चांदी की दोनों आँख बनवाकर चढ़ाएंगे और मढ़िया की सुरक्षा व्यवस्था करेंगे , इससे पहले इस स्थान में ज्यादा कुछ नही था ,और खुली जगह में एक छोटी सी बड़ी खेरमाई की मूर्ति हुआ करती थी जिसके दर्शन करने पहुँचते थे , नेतराम साहू के बदना करने के बाद जब उनका परिवार अपने घर पंहुचा तब देखा बेटी बाई की आँख पहले की तरह खुल चुकी थी , जिसे देखकर पूरा परिवार खुशी से झूम उठा , और तब नेतराम साहू ने बड़ी खैरमाई माता को चांदी की आँख चढ़ाई और चारो तरफ लकड़ी की बाउंड्री बना दी , ताकि मढ़िया की सुरक्षा बनी रहे , वही नेतराम साहू ने माता जी के सामने अर्जी लगाई की माता जी दरवार में जीव हत्या नही की जाए और लोग जो भी श्रद्धा से फल फूल नारियल चढ़ाते है , माता आप उसे प्रेम से स्वीकार करें , पहले इस स्थान में लोग बकरे की बलि देते थे जो उसी समय से बन्द कर दी गई , धीरे धीरे लोगो मे यह चर्चा पूरे गाँव मे फैल गई , और बड़ी खैरमाई के प्रति लोगो की आस्था बढ़ती चली गई , और 1930 में सबकी सहमति से उस मढ़िया का दायित्व बलजोरी कोल को सौपा गया , जो उस मढ़िया में सुबह शाम पूजा किया करता था , उस दिन से उसके वन्शज उस मढ़िया में पूजा पाठ करते आ रहे है , और अभी फिलहाल बलजोरी कोल के वंशज गुड्डा वनवासी उस मढ़िया का दायित्व सम्हाल रहे है ,इस मढ़िया के निर्माण के लिए एक रामायण मण्डली बनाई गई , जो घर घर जाकर रात में रामायण भजन करती थी , और मण्डली में जो भी लोगो के द्वारा पैसा चढ़ाया जाता था ,उस पैसे से मढ़िया में पक्का भवन बनाया गया , और धीरे धीरे मढ़िया में सभी प्रकार की व्यवस्था मण्डली और लोगो के द्वारा की गई , , इस मढ़िया में लोग अपनी अपनी परेशानी लेकर आते है और अपनी समस्या माता जी के सामने रखकर मन्नत मांगते है और जब उनकी मन्नत पूरी हो जाती है तो लोग चैत की नवरात्रि में ज्वारे बुबाते है , जिस कारण चैत की नवरात्रि में यहां भारी संख्या में लोग ज्वारे बोते है , और धूमधाम से उनका विजर्जन किया जाता है , इस मढ़िया के ज्वारे बहुचर्चित है जिसका लोग बेसब्री से इंतजार करते है वही ज्वारे विजर्जन के दौरान लोगो के द्वारा विशाल भण्डारा किया जाता है , जिसकी प्रसाद पाना लोग अपना सौभाग्य समझते है ,वही अभी इस नवरात्रि में बड़ी खैरमाई लोग सुबह से पूजा अर्चना करने पहुँच रहे है, और दिन रात जस भजनों का कार्यक्रम समिति के द्वारा किया जा रहा है, और मढ़िया में बहुत भीड़ उमड़ रही है , आस्था के बने इस केन्द्र में हर नवरात्रि में दूर दूर से लोग माताजी के दर्शन करने पहुँच रहे है

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