इस कारण से हनुमान जी को आग नहीं जला पाई !

जब हनुमान जी की पूँछ में आग लगाया गया ,उसके हनुमान जी ने सुक्ष्म किन्तु विशाल रूप धारण कर लिया था। सूक्ष्म इसलिए की वह वायु में प्रवेश कर सके। विशाल रूप इसलिए की वह अधिक क्षेत्र तक आसानी से कम समय में पहुँच संके।

इस प्रकार से हनुमान जी ने जलती हुई पूंछ के साथ घूम-घूमकर सारी लंका को ही आग के हवाले कर दिया था। जब इस मधुर कथा वृतांत को भगवन शिवजी पार्वती को सुना रहे थे ,तब अचानक देवी पार्वती जी ने पूछा महाराज जिस प्रकार हनुमान जी की पूँछ की आग से सारी लँका ही झुलस गई ,परन्तु उस आग से हनुमान जी कैसे बचे ?वह कैसे नहीं जले ?

तब पिनाक धारी शिवा जी ने कहा – हे देवी “ हनुमान जी उन परमब्रह्म के दूत हैं ,उनके सन्देश वाहक हैं जिन्होंने अग्नि की उत्पत्ति की है ,उस परब्रह्म के भक्त को अग्नि भला कैसे जला पति ?”

ताकर दूत अनल जेहिं सिरिजा। जरा न सो तेहि कारन गिरिजा। ।
// श्री रामचरित मानस कथांश//
…………..श्री तत्त्ववेत्ता परमहंस जी द्वारा