नए प्रभारी मंत्री से ये चाहता है छिंदवाड़ा…

तीन साल से मक्का के कम भाव पर रो रहे किसान, डेढ़ साल से नहीं मिले कॉलेज के 146 करोड़ रुपए

छिंदवाड़ा:-डेढ़ साल पुरानी शिवराज सरकार के कृषि मंत्री कमल पटेल 14 अगस्त को जब प्रभारी मंत्री बतौर पहली बार छिंदवाड़ा आएंगे तो उनसे जिले के किसान और आम नागरिक मक्का का समर्थन मूल्य एवं कृषि-हार्टीकल्चर कॉलेज के बजट की सौगात की अपेक्षा रखेंगे। इसके साथ ही मास्टर प्लान, मेडिकल कॉलेज, विश्वविद्यालय समेत अन्य विकास योजनाओं के मुद्दे है, जिन पर ध्यान आकर्षित कराया गया है।
देखा जाए तो वर्ष 2020 के 20 मार्च को कमलनाथ सरकार गिरने के बाद छिंदवाड़ा के दुर्दिन शुरू हो गए थे। इसके बाद मेडिकल कॉलेज सिम्स, विश्वविद्यालय, जेल कॉम्प्लेक्स, मास्टर प्लान जैसे प्रोजेक्ट ठंडे बस्ते में चले गए। शिवराज सरकार में पिछले डेढ़ साल से ऐसा कुछ नहीं मिल पाया। उल्टे बजट कटौती हो गई और टेंडर तक निरस्त हो गए। ये सब सत्तारूढ़ दल के विधायकों के न होने का परिणाम रहा। अब जबकि सीएम ने कृषि मंत्री कमल पटेल को प्रभारी मंत्री का दायित्व सौंपा है तो उन्हें इन विकास परियोजनाओं को आगे बढ़ाने के लिए अभिभावक की भूमिका निभानी होगी। सबसे महत्वपूर्ण उनके विभाग के दो मुद्दे है, जिस पर त्वरित निर्णय लेकर राहत दी जा सकती है। पहला किसानों को मक्का का समर्थन मूल्य। वर्ष 2018 में शिवराज सरकार का कार्यकाल समाप्त होने पर मक्का का भावांतर मूल्य मिलना बंद हो गया। तब से किसान पिछले तीन साल से मक्का फसल आने पर 800-1000 रुपए क्विंटल के भाव पर बेचने मजबूर हो गया है। जिस पर प्रभारी मंत्री को अपने विभाग में पहल कर केन्द्र सरकार द्वारा घोषित समर्थन मूल्य दिलवाने के प्रयास करने होंगे। इससे छिंदवाड़ा, बैतूल,सिवनी समेत अन्य जिलों के किसान भी लाभान्वित होंगे।
छिंदवाड़ा का दूसरा मुद्दा कृषि-हार्टीकल्चर कॉलेज का है। वर्तमान में हार्टीकल्चर कॉलेज के लिए कमलनाथ सरकार ने ग्राम खुनाझिरखुर्द में 230 एकड़ जमीन और 146 करोड़ रुपए की मंजूरी दी थी। कॉलेज भवन न होने पर हॉर्टीकल्चर के129 छात्र आंचलिक कृषि अनुसंधान केन्द्र चंदनगांव के छोटे से भवन मेंं अध्ययनरत है। प्रभारी मंत्री को बजट दिलवाकर छिंदवाड़ा के प्रति समर्पण दिखाना होगा। तभी लोग उनके जैसे तेजतर्रार नेता के नेतृत्व का अनुभव कर पाएंगे। इसके अलावा अन्य विकासात्मक मुद्दों पर भी प्रभारी मंत्री से अपनी पहचान बनाने की आशा की जा रही है।

ये मुद्दे भी कर रहे मंत्री का इंतजार
1.छिंदवाड़ा शहर का मास्टर प्लान 2035 राजनीतिक दुर्भावना वश अटका हुआ है। जिससे ग्रीन लैण्ड में फंसे प्लाट पर मकान नहीं बन रहे हैं और पुराने प्रोजेक्ट भी पूरे नहीं हो पा रहे हैं।
2.मेडिकल कॉलेज होने पर भी जिला अस्पताल में मरीजों को स्वास्थ्य सेवाएं नहीं मिल रही है। अस्पताल और मेडिकल के डॉक्टरों की खींचतान से नुकसान ज्यादा हो रहा है।
3.छिंदवाड़ा विश्वविद्यालय, संभाग, जेल कॉम्प्लेक्स, सिम्स, सिंचाई कॉम्प्लेक्स, गारमेंट पार्क, संभाग जैसे प्रोजेक्ट दम तोड़ चुके हैं। उन्हें पुर्नजीवित कराने के प्रयास करने होंगे।
4.पांढुर्ना की पेयजल परियोजना का मामला परसोड़ी और मोहगांव जलाशय के बीच राजनीतिक खींचतान में लटका हुआ है। इसका राजनीतिक समाधान निकालना होगा।
5.प्रशासनिक अधिकारियों की नियमित बैठक लेकर शहरी और ग्रामीण जनता को पेयजल, सड़क, नाली और पार्क जैसे विकास को आगे बढ़ाने के प्रयास करने होंगे।