एडवोकेट ब्रजेश सिंह ने इस मामले में याचिका दायर की थी। उन्होंने बिहार विधानसभा चुनावों के दौरान उम्मीदवारों के आपराधिक रिकॉर्ड का ब्योरा नहीं देने वाले दलों के खिलाफ मानहानि का दावा किया था
चुनावी कैंडिडेट का आपराधिक रिकॉर्ड सार्वजनिक न करने पर सुप्रीम कोर्ट ने सख्ती दिखाई है। इस मामले में कोर्ट ने मंगलवार को भाजपा और कांग्रेस समेत 8 दलों पर जुर्माना लगाया। इन सभी 8 पार्टियों ने बिहार चुनाव के समय तय किए गए उम्मीदवारों के क्रिमिनल रिकॉर्ड सार्वजनिक करने के आदेश का पालन नहीं किया था।
राजनीतिक दलों पर जुर्माना लगाने के साथ ही कोर्ट ने कहा कि सभी राजनीतिक दलों को अपने उम्मीदवारों का चयन करने के 48 घंटे के अंदर उनका क्रिमिनल रिकॉर्ड पब्लिश करना होगा। सभी पार्टियों को अपने सभी उम्मीदवारों की जानकारी अपनी वेबसाइट पर देनी होगी और दो अखबारों में भी पब्लिश करानी होगी। उम्मीदवार के चयन के 72 घंटे के अंदर इसकी रिपोर्ट चुनाव आयोग को भी सौंपनी होगी।
भाजपा-कांग्रेस पर एक-एक लाख का जुर्माना
सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को भाजपा, कांग्रेस, जेडीयू, आरजेडी, एलजेपी और CPI पर एक-एक लाख रुपए का जुर्माना लगाया। वहीं, NCP और CPM पर पांच-पांच लाख रुपए का जुर्माना किया गया है। कोर्ट ने आदेश देने से पहले कड़ी टिप्पणी करते हुए कहा कि बार-बार अपील करने के बावजूद राजनीतिक दलों ने नींद तोड़ने में रुचि नहीं दिखाई।
फरवरी 2020 के आदेश में किया बदलाव
नए आदेश के साथ ही कोर्ट ने अपने पिछले फैसले में बदलाव किया है। फरवरी 2020 में सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया था कि उम्मीदवार के चयन के 48 घंटे के अंदर या फिर नामांकन दाखिल करने की पहली तारीख से दो हफ्ते पहले (इन दोनों में से जो भी पहले हो) उम्मीदवारों की पूरी जानकारी देनी होगी। वहीं पिछले महीने कोर्ट ने कहा था कि इसकी संभावना कम है कि अपराधियों को राजनीति में आने और चुनाव लड़ने से रोकने के लिए विधानमंडल कुछ करेगा।
नवंबर में दाखिल की गई थी याचिका
इस मामले में नवंबर 2020 में एडवोकेट ब्रजेश सिंह ने याचिका दायर की थी। उन्होंने बिहार विधानसभा चुनावों के दौरान उन पार्टियों के खिलाफ मानहानि की अर्जी दाखिल की थी, जिन्होंने अपने उम्मीदवारों के आपराधिक रिकॉर्ड का ब्योरा नहीं दिया था।